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लेखनी प्रतियोगिता -17-Dec-2021 आजादी का तिरंगा

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ह्रदय वेदना करे पुकार , 
चहूं दिशा हो जय जय कार।
मातृभूमि को शीश नवाकर, 
हो गया वो कुछ ऐसे तैयार।

माटी का तिलक लगाया था,
 सर पर कफन सजाया था।
  ओढ तिरंगे की चादर,
 भारत स्वतंत्र कराया था।
 
मां बिलखती रो पड़ी,
 पिता समर्पित कर चुका ।
भारत माता की खातिर,
 पुत्र को अर्पित कर चुका।

वो अंगारों से खेल गया,
 शोलों को वो झेल गया।
सीने में धधकती ज्वाला थी,
 हंसते हंसते वो झेल गया 

सुखचैन अमन हमको देकर,.
 वो खुद शहीद हो गया।
 संरक्षक हम सबका बनकर,
 जीवन सुरक्षित दे गया।

          संगीता वर्मा ✍️✍️

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2 Comments

Shrishti pandey

18-Dec-2021 09:24 AM

Wow

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Swati chourasia

17-Dec-2021 11:51 PM

Wow awesome ❤️👌

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